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श्लोका- Everyday
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श्लोका- Everyday

Author: Dainik Jagran

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Description

श्लोका Everyday है एक ऐसा खास कार्यक्रम जिसमे आप सुनेंगे भारतीय संकृति से जुड़े ऐसे श्लोक , स्तुति , मंत्र और दोहे जो आपके जीवन को मूल्यवान बनाएँगे, आप न सिर्फ कंठस्थ करेंगे यहाँ तक कि आप प्रत्येक श्लोक , मंत्र , स्तुति आदि का अर्थ भी सुनेंगे जो आपको विद्या , बल , बुद्धि , धन और समृद्धि प्रदान करेंगे  ।


भारतीय संस्कृति से आपको जोड़े रखने का एक बेहतरीन जरिया है ये खास कार्यक्रम सुनते रहिए Shloka Everyday. 

182 Episodes
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जो लोग एक-दूसरे के भेदों को प्रकट करते हैं, वे उसी प्रकार नष्ट हो जाते हैं जैसे बांबी में फंसकर सांप नष्ट हो जाता है।See omnystudio.com/listener for privacy information.
तुम्हें निर्धारित वैदिक कर्म करने चाहिए क्योंकि निष्क्रिय रहने से कर्म करना श्रेष्ठ है। कर्म का त्याग करने से तुम्हारे शरीर का भरण पोषण भी संभव नहीं होगा।See omnystudio.com/listener for privacy information.
श्रीकृष्ण कहते हैं: हे पार्थ! जब कोई मनुष्य स्वार्थयुक्त कामनाओं और मन को दूषित करने वाली इन्द्रिय तृप्ति से संबंधित कामनाओं का परित्याग कर देता है और आत्मज्ञान को अनुभव कर संतुष्ट हो जाता है तब ऐसे मानव को दिव्य चेतना में स्थित कहा जा सकता है।See omnystudio.com/listener for privacy information.
जिस प्रकार प्रचंड वायु अपने तीव्र वेग से जल पर तैरती हुई नाव को दूर तक बहा कर ले जाती है उसी प्रकार से अनियंत्रित इन्द्रियों मे से कोई एक जिसमें मन अधिक लिप्त रहता है, बुद्धि का विनाश कर देती हैSee omnystudio.com/listener for privacy information.
अकेली काम वासना जो रजोगुण के सम्पर्क में आने से उत्पन्न होती है और बाद में क्रोध का रूप धारण कर लेती है, इसे पाप के रूप में संसार का सर्वभक्षी शत्रु समझो | See omnystudio.com/listener for privacy information.
जो सभी परिस्थितियों में अनासक्त रहता है और न ही शुभ फल की प्राप्ति से हर्षित होता है और न ही विपत्ति से उदासीन होता है वही पूर्ण ज्ञानावस्था में स्थित मुनि है।See omnystudio.com/listener for privacy information.
जिसे सब लोग दिन समझते हैं वह आत्मसंयमी के लिए अज्ञानता की रात्रि है तथा जो सब जीवों के लिए रात्रि है, वह आत्मविश्लेषी मुनियों के लिए दिन है।See omnystudio.com/listener for privacy information.
योगीजन आसक्ति को त्याग कर अपने शरीर, इन्द्रिय, मन और बुद्धि द्वारा केवल अपने शुद्धिकरण के उद्देश्य से कर्म करते हैं | See omnystudio.com/listener for privacy information.
आत्मा अखंडित और अज्वलनशील है, इसे न तो गीला किया जा सकता है और न ही सुखाया जा सकता है। यह आत्मा शाश्वत, सर्वव्यापी, अपरिर्वतनीय, अचल और अनादि हैSee omnystudio.com/listener for privacy information.
चार प्रकार के लोग मेरी शरण ग्रहण नहीं करते-वे जो ज्ञान से वंचित हैं, वे जो अपनी निकृष्ट प्रवृति के कारण मुझे जानने में समर्थ होकर भी आलस्य के अधीन होकर मुझे जानने का प्रयास नहीं करते, जिनकी बुद्धि भ्रमित है और जो आसुरी प्रवृति के हैं।See omnystudio.com/listener for privacy information.
सुनिए भगवतगीता से यह श्लोक, जो बताएगा आपको क्या होता है कर्म योग और संन्यास योग | See omnystudio.com/listener for privacy information.
महापुरुष जो भी कर्म करते हैं, सामान्य जन उनका पालन करते हैं, वे जो भी आदर्श स्थापित करते हैं, सारा संसार उनका अनुसरण करता है।See omnystudio.com/listener for privacy information.
इन्द्रियों के विषयों का चिंतन करते हुए मनुष्य उनमें आसक्त हो जाता है और आसक्ति कामना की ओर ले जाती है और कामना से क्रोध उत्पन्न होता है।See omnystudio.com/listener for privacy information.
वे कर्मयोगी जो न तो कोई कामना करते हैं और न ही किसी से घृणा करते हैं उन्हें नित्य संन्यासी माना जाना चाहिए। हे महाबाहु अर्जुन! सभी प्रकार के द्वन्द्वों से मुक्त होने के कारण वे माया के बंधनों से सरलता से मुक्ति पा लेते हैं।See omnystudio.com/listener for privacy information.
जो मनुष्य किसी प्रकार के दुखों में क्षुब्ध नहीं होता जो सुख की लालसा नहीं करता और जो आसक्ति, भय और क्रोध से मुक्त रहता है, वह स्थिर बुद्धि वाला मनीषी कहलाता हैSee omnystudio.com/listener for privacy information.
क्या आत्मा मरती है ? See omnystudio.com/listener for privacy information.
क्रोध साक्षात् यम है। तृष्णा नरक की ओर​ ले जाने वाली वैतरणी है।ज्ञान कामधेनु है और​ संतोष ही तो नंदनवन है।See omnystudio.com/listener for privacy information.
इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के साथ होने से सफलता, समृद्धि, और धर्म का अनिवार्य रूप से प्राप्त होना बताया गया हैSee omnystudio.com/listener for privacy information.
चाणक्य नीति के अनुसार हमेशा अच्छी चीज़ और अच्छी वस्तु की ओर आकर्षित होना चाहिए | See omnystudio.com/listener for privacy information.
वह व्यक्ति जो अलग – अलग जगहों या देशो में घूमता है और विद्वानों की सेवा करता है उसकी बुद्धि उसी तरह से बढती है जैसे तेल का बूंद पानी में गिरने के बाद फ़ैल जाता है.See omnystudio.com/listener for privacy information.
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Comments (1)

Viju Kumar

So nice, please keep it up.

Apr 15th
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