कौआ मांस बाज़ और गरुड़
Update: 2024-01-25
Description
जिंदगी की कहानी भी कुछ ऐसे ही है जहां हम समय पर निर्भर करते हैं उन लोगों पर निर्भर करते हैं जो शायद ही हमें मदद कर पाए या फिर हम अपने भय असुरक्षा और क्रोध में आलस्य के साथ शनैः शनैः डूब जाते हैं
समय ना तो किसी अवधि में बंधा है ना ही किसी का गुलाम है समय
समय की चाल को क्षण में घंटे में दिनों में महीनों में और सालों में हमने तब्दील किया है
समय का रूप सिर्फ समय ही है
समय सिर्फ एक विचार पर आधारित है और वह विचार है निरंतरता
समय की इस गति के साथ हम कितनी निष्ठा से बढ़ रहे हैं यह हमारी सफलता देखकर पता चलता है या असफलता देखकर पता चलता है कि हम समय से कितने पीछे रह गए हैं
वेद कबीर का कहना है की समय रहते जो नहीं चेता उसने को दिया अपना खेता
समय ना तो किसी अवधि में बंधा है ना ही किसी का गुलाम है समय
समय की चाल को क्षण में घंटे में दिनों में महीनों में और सालों में हमने तब्दील किया है
समय का रूप सिर्फ समय ही है
समय सिर्फ एक विचार पर आधारित है और वह विचार है निरंतरता
समय की इस गति के साथ हम कितनी निष्ठा से बढ़ रहे हैं यह हमारी सफलता देखकर पता चलता है या असफलता देखकर पता चलता है कि हम समय से कितने पीछे रह गए हैं
वेद कबीर का कहना है की समय रहते जो नहीं चेता उसने को दिया अपना खेता
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