24 तत्व ही 24 अवतार हैं
Update: 2024-02-10
Description
भगवान विष्णु को सृष्टि का संचालक माना है ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा सृष्टि बनाने वाले विष्णु सृष्टि का पालन और शिव संहार करने वाले है। शास्त्रों में विष्णु के 24 अवतार बताए हैं ऐसा कहा जाता है कि जब जब पृथ्वी पर कोई संकट आता है तो भगवान अवतार लेकर उस संकट को दूर करते है। सवाल ये है कि भगवान विष्णु के अवतारों की संख्या 24 ही क्यो है ज्यादा या कम क्यों नहीं। इसके पीछे जो कारण बताया जाता है वो मानव शरीर की रचना व उसके संचालन से जुड़ा है। कई विद्वानों और संतों का ऐसा मत है कि विष्णु के 24 अवतारों में मानव शरीर की रचना का रहस्य छुपा है। शास्त्रों ने मानव शरीर की रचना 24 तत्वों से जुड़ी बताई है। ये 24 तत्व ही 24 अवतारों के प्रतीक हैं।
क्या हैं ये 24 तत्व: माना जाता है कि सृष्टि का निर्माण 24 तत्वों से मिलकर हुआ है इनमें पांच ज्ञानेद्रियां(आंख,नाक, कान,जीभ,त्वचा) पांच कर्मेन्द्रियां(गुदा,लिंग,हाथ,पैर,वचन) तीन अंहकार(सत, रज, तम) पांच तन्मात्राएं (शब्द,रूप,स्पर्श,रस,गन्ध)पांच तत्व(धरती, आकाश,वायु, जल,तेज) और एक मन शमिल है इन्हीं चौबीस तत्वों से मिलकर ही पूरी सृष्टि और मनुष्य का निर्माण हुआ है।
"यह तन काचा कुंभ है, लियाँ फिरै था साथि।
ठपका लागा फुटि गया, कछू न आया हाथि।।
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! यह शरीर, जिसे तू बड़े गर्व के साथ लिये घूम रहा है, कच्चे घड़े के समान है, जो जरा-सा धक्का लगने से फूट जाता है और फिर कुछ भी हाथ नहीं आता। तेरा शरीर भी वैसा ही नश्वर है। इसका कोई ठिकाना नहीं।"
जीवाणु शक्ति: हमारे शरीर में जीवाणु शक्ति वास करती है जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
प्राण शक्ति: हमारे शरीर में प्राण शक्ति वास करती है जो हमारे शरीर को जीवित रखने के लिए ज़रूरी है। यह हमारे श्वसन, हृदय धड़कन और अन्य शारीरिक क्रियाओं को नियंत्रित करती है।
ऊर्जा शक्ति: हमारे शरीर में ऊर्जा शक्ति वास करती है जो हमें शारीरिक और मानसिक गतिविधियों के लिए ऊर्जा प्रदान करती है।
ब्रह्मचर्य शक्ति: यह शक्ति वास्तव में मन की शक्ति होती है जो हमें उच्च स्तर के आध्यात्मिक अनुभव तक पहुंचने में मदद करती है।
काम शक्ति: यह शक्ति हमें स्वास्थ्य, संतुलित मन और शरीर को नियंत्रित करने में मदद करती है।
इसके अलावा, अन्य शक्तियाँ जैसे की ज्ञान शक्ति, श्रद्धा शक्ति और आत्मा शक्ति भी है |
क्या हैं ये 24 तत्व: माना जाता है कि सृष्टि का निर्माण 24 तत्वों से मिलकर हुआ है इनमें पांच ज्ञानेद्रियां(आंख,नाक, कान,जीभ,त्वचा) पांच कर्मेन्द्रियां(गुदा,लिंग,हाथ,पैर,वचन) तीन अंहकार(सत, रज, तम) पांच तन्मात्राएं (शब्द,रूप,स्पर्श,रस,गन्ध)पांच तत्व(धरती, आकाश,वायु, जल,तेज) और एक मन शमिल है इन्हीं चौबीस तत्वों से मिलकर ही पूरी सृष्टि और मनुष्य का निर्माण हुआ है।
"यह तन काचा कुंभ है, लियाँ फिरै था साथि।
ठपका लागा फुटि गया, कछू न आया हाथि।।
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! यह शरीर, जिसे तू बड़े गर्व के साथ लिये घूम रहा है, कच्चे घड़े के समान है, जो जरा-सा धक्का लगने से फूट जाता है और फिर कुछ भी हाथ नहीं आता। तेरा शरीर भी वैसा ही नश्वर है। इसका कोई ठिकाना नहीं।"
जीवाणु शक्ति: हमारे शरीर में जीवाणु शक्ति वास करती है जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
प्राण शक्ति: हमारे शरीर में प्राण शक्ति वास करती है जो हमारे शरीर को जीवित रखने के लिए ज़रूरी है। यह हमारे श्वसन, हृदय धड़कन और अन्य शारीरिक क्रियाओं को नियंत्रित करती है।
ऊर्जा शक्ति: हमारे शरीर में ऊर्जा शक्ति वास करती है जो हमें शारीरिक और मानसिक गतिविधियों के लिए ऊर्जा प्रदान करती है।
ब्रह्मचर्य शक्ति: यह शक्ति वास्तव में मन की शक्ति होती है जो हमें उच्च स्तर के आध्यात्मिक अनुभव तक पहुंचने में मदद करती है।
काम शक्ति: यह शक्ति हमें स्वास्थ्य, संतुलित मन और शरीर को नियंत्रित करने में मदद करती है।
इसके अलावा, अन्य शक्तियाँ जैसे की ज्ञान शक्ति, श्रद्धा शक्ति और आत्मा शक्ति भी है |
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